नगरी क्षेत्र में 33 वर्षों बाद शासन ने अपनी जमीनें वापस लेना शुरू कर दी


नगरी में 1991-92 में नहर निर्माण हेतु अधिग्रहित जमीनें आखिरकार सिंचाई विभाग के नाम दर्ज होना शुरू 


एसडीएम, तहसीलदार और नगर पंचायत की सख़्त कार्रवाई से फर्जी खरीद-बिक्री और अवैध निर्माण पर लगी रोक।

समाजसेवियों और पत्रकारों की मुहिम से भू-माफियाओं का खेल होने लगा ध्वस्त

रिपोर्टर - कुलदीप कुमार साहू 

नगरी- नगरी नगर के 33 वर्षों से लंबित एक महत्वपूर्ण राजस्व मामला आखिरकार सुलझने की दिशा में बढ़ चला है। सिंचाई विभाग द्वारा वर्ष 1991-92 में नहर निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई भूमि, जिसका मुआवजा तो किसानों को दे दिया गया था लेकिन राजस्व अभिलेखों में दुरुस्ती नहीं हुई थी, अब आखिरकार विभाग के नाम दर्ज होना शुरू हो गया है। नगरी के समाजसेवी जितेंद्र गोलू मंडावी और क्षेत्र के पत्रकारों के संयुक्त प्रयासों से यह ऐतिहासिक कार्य संभव हुआ है। पिछले दो महीनों से यह प्रतिनिधिमंडल लगातार कलेक्टर धमतरी अविनाश मिश्रा, एसडीएम नगरी प्रीति दुर्गम, तहसीलदार नगरी शिवेंद्र सिन्हा और सीएमओ नगरी से मिलकर आवेदन दे रहा था तथा समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों के माध्यम से इस गंभीर विषय को प्रमुखता से उठा रहा था।

33 साल पुरानी गलती अब हो रही दुरुस्त
वर्ष 1991-92 में सिंचाई विभाग द्वारा चुरियारा माइनर और नगरी माइनर नाम से नहर निर्माण किया गया था। इसके लिए प्रभावित किसानों को मुआवजा प्रदान किया गया था, किंतु तकनीकी कारणों से यह जानकारी राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं हो पाई। परिणामस्वरूप उन भूमियों पर आज तक पुराने स्वामियों का ही नाम चलता रहा।

इस त्रुटि का फायदा उठाकर कुछ भू-माफियाओं ने इन जमीनों की खरीद-फरोख्त और अवैध निर्माण कार्य तक शुरू कर दिया था। जब यह जानकारी समाजसेवी जितेंद्र गोलू मंडावी और पत्रकारों तक पहुंची, तो उन्होंने तुरंत इस पर कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंपकर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।

प्रशासन ने दिखाई तत्परता

कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम और तहसीलदार नगरी को तत्काल जांच और दुरुस्तीकरण का निर्देश दिया। एसडीएम प्रीति दुर्गम ने सिंचाई विभाग से पुराने अभिलेख मंगवाकर कार्रवाई आरंभ कराई। तहसीलदार शिवेंद्र सिन्हा के अनुसार, बंदोबस्त के बाद खसरा नंबर बदल जाने के कारण रिनंबरिंग का कार्य पहले पूरा किया गया और अब तक चार भूमि स्वामियों की मुआवजा प्राप्त जमीनों को रिकॉर्ड में सिंचाई विभाग के नाम दुरुस्त किया जा चुका है।

एसडीएम और तहसीलदार के सख्त निर्देश
एसडीएम प्रीति दुर्गम ने कहा है कि “चुरियारा माईनर के 71 खसरा और नगरी माईनर के 54 खसरा जो कि मुआवजा प्राप्त जमीन है, इन जमीनों की दुरुस्तीकरण के लिए तहसीलदार और हल्का पटवारी को निर्देशित किया गया है, जिस पर दुरुस्तीकरण का कार्य लगातार जारी है। साथ ही रजिस्ट्रार को इन जमीनों का दस्तावेज उपलब्ध कराकर निर्देशित किया गया है कि इन जमीनों की खरीदी बिक्री का प्रकरण आता है तो संबंधित पटवारी और तहसीलदार से रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद ही रजिस्ट्री किया जावे। इन जमीनों पर हो रहे निर्माण कार्य मामले की जांच परीक्षण और दुरुस्तीकरण होने तक रुके रहेंगे।”

वहीं तहसीलदार शिवेंद्र सिन्हा ने कहा कि “भूमि अर्जन हुए सभी जमीनों को दुरुस्तीकरण के लिए पटवारी को ज्ञापन जारी किया गया है और दुरुस्तीकरण के लिए निर्देशित किया गया है। अब तक चार खसरों को दुरुस्त किया जा चुका है और बाकी बचे सभी जमीनों का दुरुस्तीकरण कार्य भी लगातार चल रहा है। आने वाले दिनों में सभी जमीनों का अभिलेख दुरुस्त कर दिया जाएगा।”

नगर पंचायत की भूमिका भी सख्त नगर पंचायत नगरी के अध्यक्ष बलजीत छाबड़ा ने कहा कि “नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत सिंचाई विभाग की जमीन, आबादी जमीन या शासकीय जमीनों पर निर्माण कार्य हेतु एनओसी की मांग की जायेगी तो नगर पंचायत नगरी द्वारा उन्हें एनओसी नहीं दिया जायेगा। साथ ही कोई कार्य गलत या नियम विरुद्ध होने की जानकारी मिलती है तो उसकी जांच कर दोषी व्यक्ति पर कार्यवाही की जावेगी।”

वहीं मुख्य नगरपालिका अधिकारी यशवंत वर्मा ने कहा कि “नगर पंचायत नगरी क्षेत्र में नहर-नाली के समीप हो रहे भवन निर्माण के संबंध में निर्माणकर्ता को पहले ही दो नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इसके बावजूद उनके द्वारा नोटिस का जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है। अब वे एनओसी एवं निर्माण नियमितीकरण के लिए आवेदन दे रहे हैं, लेकिन नगर पंचायत द्वारा उनसे डायवर्जन, नक्शा, ब्लूप्रिंट और अन्य आवश्यक दस्तावेज मांगे गए हैं, जिन्हें अब तक प्रस्तुत नहीं किया गया है। सभी आवश्यक दस्तावेज पूर्ण रूप से जमा करने के बाद ही एनओसी प्रदान की जाएगी।”

अब भोले-भाले लोगों की मेहनत की कमाई को धोखाधड़ी से बचाने में मदद मिलेगी : गोलू ध्रुव इस मामले को लेकर लगातार लड़ाई लड़ रहे आदिवासी युवा नेता जितेंद्र गोलू ध्रुव बे खास 33 वर्षों से लंबित यह प्रकरण अब न्याय की दिशा में ठोस कदम साबित हो रहा है।

उन्होंने  कहा कि यह प्रयास केवल जमीन बचाने का नहीं, बल्कि “जनहित और पारदर्शिता की जीत” है। प्रशासन ने 33 साल पुरानी गलती को सुधारकर न्याय का रास्ता खोला है, जिससे अब भोले-भाले लोगों की मेहनत की कमाई को धोखाधड़ी से बचाने में मदद मिलेगी।

Post a Comment

0 Comments